चट्टान(Rocks)
भू पटल के सभी कठोर एवं मुलायम पदार्थ चट्टान कहलाते है |
इसका निर्माण विभिन्न प्रकार के खनिजो से मिलकर हुआ है |
यधपि पृथ्वी के भूपटल में 110 प्रकार के तत्व पाए जाते है जिनमे से 8 तत्व प्रमुख है:-
( शैलो के विज्ञानं को पट्रोलोजी कहते है )
निर्माण विधि के अनुसार चट्टानों को निम्न तीन भागो में बांटा है -
भू पटल के सभी कठोर एवं मुलायम पदार्थ चट्टान कहलाते है |
इसका निर्माण विभिन्न प्रकार के खनिजो से मिलकर हुआ है |
यधपि पृथ्वी के भूपटल में 110 प्रकार के तत्व पाए जाते है जिनमे से 8 तत्व प्रमुख है:-
- ओक्सिजन -47 %
- सिलिकन -28 %
- एलुमिनियम -8%
- लोहा - 5%
- कैल्सियम -3.63%
- सोडियम - 2.83%
- पोटेसियम - 2.59%
- मैग्नीशियम - 2.09%
( शैलो के विज्ञानं को पट्रोलोजी कहते है )
निर्माण विधि के अनुसार चट्टानों को निम्न तीन भागो में बांटा है -
1. आग्नेय चट्टान
2. अवसादी चट्टान
3. रूपान्तरित चट्टान
1. आग्नेय चट्टान :-
इसका निर्माण क्रस्ट के नीचे उपस्थित तप्त एवं तरल मैग्मा के ठंडा होने से होता है|इसको
प्राथमिक चट्टान भी कहते है क्योकि पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद सबसे पहले इसी चट्टान का निर्माण हुआ है |
विशेषता- * ये रवेदार होती है अर्थात दरारे नही पाई जाती है
* इनमे परते नही होती है
* जीवाश्म नही पाए जाते है
जैसे - ग्रेनाइट ,बेसाल्ट,गेब्रो ,डायोराइट ,एंडेसाईट etc
उत्पत्ति के आधार पर आग्नेय चट्टान दो प्रकार की होती है -
आंतरिक आग्नेय चट्टान - जब मैग्मा सतह के नीचे ठंडा होकर ठोस हो जाता है तो आंतरिक आग्नेय चट्टान का निर्माण होता है |
जैसे - ग्रेनाइट ,डायोराइट,गेब्रो ,परीडोटाइट ...
बाह्य आग्नेय चट्टान - जब कभी मैग्मा भू पर्पटी के ऊपर आकर जमा हो जाता है तो बाह्य आग्नेय चट्टान का निर्माण होता है जिसे ज्वालामुखी चट्टान भी कहते है |
जैसे - बेसाल्ट ,एंडेसाईट ,रायोलाइट ...
2.अवसादी चट्टान :-
अवसादी शब्द की उत्पत्ति लेटिन शब्द Sediment से हुयी है जिसका अर्थ व्यवस्थित होना है |
इस प्रकार की चट्टानों का निर्माण धरातल पर मूल चट्टान (आग्नेय ,रूपान्तरित) के अपरदन व निक्षेपण के फलस्वरूप बनने वाली चट्टानों
को अवसादी चट्टान के नाम से जानते है| इनमे परतो का विकास होने के कारण इसे परतदार चट्टान भी कहते है |
विशेषता - * जीवाश्म पाए जाते है
* खनिज तेल व प्राक्रतिक गेस पाई जाती है
* ये मुलायम होती है
जैसे- जिप्सम,कोयला,चूना पत्थर ,बालुका पत्थर ,चीका ,कोंग्लोमरेट ,डोलोमाइट etc
3. रुपान्तरित चट्टान :-
रूपान्तरित का अर्थ अपने स्वरूप में परिवर्तन से है|
इस चट्टान का निर्माण आग्नेय व अवसादी चट्टानों पर अत्यधिक ताप व दाब के कारण इसके स्वरूप में परिवर्तन होने से होता है|
विशेषता- * जीवाश्म नही पाए जाते है
* ये कठोर होती है (अवसादी से कठोर एवं आग्नेय से मुलायम )
जैसे - स्लेट ,संगमरमर ,क्वार्ट्जाइट ,निस,शिष्ट etc
आग्नेय से रूपान्तरित में परिवर्तन
ग्रेनाइट → निस
बेसाल्ट → सिस्ट,एम्फिबोलाइट
गेब्रो → सर्पेंटाइन
अवसादी से रूपान्तरित में परिवर्तन
शैल → स्लेट
चूना पत्थर → संगमरमर
बालू पत्थर → क्वार्ट्जाइट
कोंग्लोमरेट → क्वार्ट्जाइट
कोयला → ग्रेफाइट /हीरा
रूपान्तरित से पुनः रूपान्तरित में परिवर्तन
स्लेट → फाइलाइट
फाइलाइट → सिस्ट
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