परिभाषा-
                         पृथ्वी के चारो ओर गेसों के आवरण को वायुमंडल कहते है| यह सौर विकिरण की लघु तरंगो को पृथ्वी के धरातल तक आने देती है, परंतु पार्थिव विकिरण (दीर्घ विकिरण ) के लिए अवरोध का कार्य करता है| जिससे वायुमंडल का तापमान बढ़ेगा इसे 'ग्रीन हाउस इफैक्ट ' कहते है |
पृथ्वी का औसत तापमान 15॰ C होता है |

                                         
                                                  वायुमंडल का संगठन 
वायुमंडल मे अनेक गेसों का मिश्रण है जिनमे ठोस ,तरल पदार्थो के कण भी असमान मात्रा मे तैरते रहते है |


  • नाइट्रोजन -                   78.08% (वायुमंडल मे सर्वाधिक गेस )
  • ऑक्सीज़न -                  20.95%
  • आर्गन -                         0.93%
  • कार्बन डाइ ऑक्साइड-  0.03%
  • निओन-                         0.0018%
  • हीलियम-                       0.0005%


अन्य -

जलवाष्प ( 0-4%), आद्र क्षेत्र  मे 4% , मरुस्थली मे 1% तक
  •   धूल कण 
                                  वायुमंडल की संरचना 
वायुमंडल मे वायु की अनेक परत है जो घनत्व एवं ताप के आधार पर एक दूसरे से भिन्न है -




1. क्षोभ मण्डल (troposphere)/ संवहन मण्डल /परिवर्तन मण्डल / विक्षोभ मण्डल  - 

  नामकरण - टीजरेंस डी बोर्ट
 यह वायुमंडल की सबसे निचली एवं सघन परत है जिसकी ओसत ऊंचाई 16 km है | ( विषुवत रेखा पर 18 km तथा ध्रुवो पर 8 km) 
इस परत मे सभी प्रकार की मोसमी घटनाए होती है |
इस मण्डल के निचले भाग मे "तापीय प्रतिलोमन"  की परिघटना होती है |
'क्षोभ मण्डल मे ऊपर जाने पर  1॰C/165 मीटर की दर ( 6.5॰C/KM ) से तापमान कम होता जाता है जिसे "समान्य ताप पतन दर" (normal lapse rate )  कहते है' | 
     क्षोभ सीमा - क्षोभमंडल की ऊपरी सीमा को क्षोभ सीमा कहते है| यह लगभग 1.5 km मोती एक परत है इसमे क्षोभमंडल तथा समताप मण्डल दोनों के गुण पाये जाते है |

2. समताप मण्डल (Stratosphere)-  
                                                        यह परत क्षोभ सीमा से 50 km तक विस्तृत है | इस परत के निचले भाग मे 20 km की ऊंचाई तक ताप मे कोई परिवर्तन नही होता है इसलिए इसे समताप मण्डल कहते है | इस मण्डल मे 20-35 km तक की ऊंचाई के मध्य ओज़ोन गेस की सांद्रता अधिक पाये जाने के कारण इस क्षेत्र को ओज़ोन मण्डल के नाम से भी जानते है |
  यह ओज़ोन मण्डल (परत ) सूर्य से आने वाली पराबेंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है|( U.V. विकिरण जीवों के लिए नुकसानदायक होती है )  
यह परत वायुयानों की उड़ान के लिए अनुकूल है |
समताप मण्डल की ऊपरी सीमा का ताप 0॰C होता है | 
इस मण्डल की ऊपरी सीमा समताप सीमा (stratopause) के नाम से जानी जाती है |

3. मध्य मण्डल (Mesosphere)- 
                                                   इस मण्डल का विस्तार 50-80 KM की उचाई तक है |
इस मण्डल की ऊपरी सीमा मध्य सीमा कहलाती है |
मध्य सीमा पर ताप गिरकर  -100॰C हो जाता है जो वायुमंडल का न्यूनतम ताप है |
यह मण्डल उल्का पिण्डो से संबन्धित है |

4. आयन मण्डल ( ionosphere )-  
                                                       इसका विस्तार  80-640 km तक की ऊंचाई के मध्य है | इस मण्डल मे विधुत आवेशित कण पाये जाते है जो रेडियो को परावर्तित करते है |
इस मण्डल मे ऊंचाई के साथ ताप बढ़ता है | 
इस मण्डल मे  4 परते पायी जाती है |
  • D परत - दीर्घ तरंग दैर्ध्य को परावर्तित 
  • E परत -  मध्य तरंग दैर्ध्य को परावर्तित 
  • F परत - लघु तरंग दैर्ध्य को परावर्तित 
  • G परत - सभी तरंग दैर्ध्य को परावर्तित 
5. बाह्य मण्डल (exosphere)-  
                                               यह मण्डल 640 km से अंतरिक्ष तक विस्तृत है | इसे चुम्बकीय मण्डल भी कहते है | इसमे हाइड्रोजन तथा हीलियम गेस की अधिक प्रधानता है | इसका घनत्व सर्वाधिक विरल है |


अन्य बिन्दु -
  1. ओज़ोन परत को बचाने के लिए 1987 मे मोंट्रियल प्रोटोकॉल हुआ ( कनाडा मे )
  2. ओज़ोन परत को क्षति पहुचाने वाली गसे - CFC, नाइट्रस ऑक्साइड etc 
  3. विश्व ओज़ोन दिवस - 16 सितम्बर 
  4. ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए उतरदायी गेस - कार्बन  डाइ ओक्साइड , SO-2 , जलवाष्प etc 
  5. कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा को कम करने के लिए 1997 मे जापान मे क्योटो प्रोटोकॉल हुआ |      

           
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